हाँ, मैं तुमसे प्यार करता हूँ
-------------------------------- कविता / डॉ. वागीश सारस्वत हाँ, मैं तुमसे प्यार करता हूँ तुम भी बखूबी जानती हो ये बात जान...
-------------------------------- कविता / डॉ. वागीश सारस्वत हाँ, मैं तुमसे प्यार करता हूँ तुम भी बखूबी जानती हो ये बात जान...
बात 1956 की है । मैं उस साल दिल्ली के लिए प्रस्थान कर रहा था क्योंकि लोकसभा सचिवालय में मेरी...
कविता को धैर्य पूर्वक पढ़ सकने का समय दे सकें तो पढ़े। कविता विस्तारित है किंतु , स्त्री मन की...
क्रांति का सुलगता गीत थे तुम स्वातंत्र-समरांग के संगीत थे तुम तेजाब बनकर आंख में अंगार के शोले जगाए दुश्मनों...
हरे को और हरा करती , नम को और नम करती, एकांत को और गाढ़ा करती स्मृतियों की धार को...
हमर छत्तीसगढ़ म सांस्कृतिक विविधता के अद्भुत दर्शन होथे. इहाँ कतकों अइसन परब अउ परंपरा हे, जेला कोनो अंचल विशेष...
जैसा कि आजकल देख, सुन और पढ़ रही हूँ अब हमारी प्रतिरोधक क्षमता ख़त्म होती जा रही है । कोई...
देश में सामंती समाजों के अवशेष बीसवीं शताब्दी तक बने रहें। अब पूरी तरह खत्म हो गए हों ऐसा भी...
नसीरुद्दीन शाह केवल अदाकारी के कारण ही नसीर साहब नहीं बने बल्कि अपने एटिट्यूड के कारण भी यहां तक पहुंचे...
अभी-अभी मैंने हरसिंगार को खिलखिलाते देखा अभी-अभी मैंने एक नदी को अठखेलियाँ करते हुए समंदर की ओर बहकर जाते देखा...