लघुकथा : कोरोना
पारस कुंज कोरोना-काल चल रहा था | आठ-नौ माह बाद भी इसके लिए किसी भैक्सिन का ईजाद नहीं हो पाया...
पारस कुंज कोरोना-काल चल रहा था | आठ-नौ माह बाद भी इसके लिए किसी भैक्सिन का ईजाद नहीं हो पाया...
जीस्त ठहराव है ... जीस्त ठहराव है रवानी भीकुछ हकीक़त है कुछ कहानी भी //१// हाल दिल का अजीब सा...
बच के रहना… कोई गाँव हो या शहर बच के रहनाहवा में घुला है ज़हर बच के रहना दिखाई न...
मां मेरी आवाज सुननन्हे हाथ से तोड़ रहे पत्थरहथौड़े की आवाजमां, क्या सुन नहीं पातीतेरे ऊंचे गलियारे के नीचे देखचिलचिलाती...
दौर-ए-मुश्किल है हर इंसान परेशां है मगरये बुरा वक्त भीजाने के लिए आया है छुपा बैठा है घरों मेंहर एक...
तुमसे कहना है कहना है मुझे तुमसेवो अविस्मरणीय मीठी बात।झिलमिल चाँदनी कीवो मुलाकात सारी याद।। हरी-भरी पगडण्डियों मेंहमारा इठलाते गुजरना।चाँद-सितारे...
मौसम बदल गया है तो तू भी बदल के देख / दरवेश भारती दरवेश भारती » मौसम बदल गया है...
"खाली हाथ" आपदा का अवसर है,फायदा छोड़ दें|सेवा के कारक बनें,अहंकार तोड़ दें|मन में प्रतिज्ञा करें,काम शुरू कीजिए|जितना भी हो...
संदीप तोमर का जन्म ७ जून १९७५ को उत्तर प्रदेश के जिला मुज़फ्फरनगर के गंगधाड़ी नामक गॉंव में हुआ। उन्होंने...
मेरे अन्दाज़ आज भी सबको पुराने लगते हैं।कल ही के तो सारे किस्से और फसाने लगते हैं।मैं वो काज ही...