क्या लिखती हो
वो कहते हैं क्या लिखती हो हंसकर इतना कह देती हूँ । माँ की लोरी, पापा का लाड़ दादी-नानी भी...
वो कहते हैं क्या लिखती हो हंसकर इतना कह देती हूँ । माँ की लोरी, पापा का लाड़ दादी-नानी भी...
जिसने माटी से दीप बनाये जिसने कच्ची घानी से कडु तेल निकाला जिसने खेत में पसीना बहाके उगाया कपास बाती...
समय के अश्व (कविता संग्रह) कवयित्री - प्रियंवदा पांडेय प्रकाशक - नोशन प्रेस चैन्नई प्रथम संस्करण -2023 मूल्य - 300...
कहने सुनने वाली भाषा, शान मर्यादा रखती है। केवल कहने सुनने से जो, दुख भी आधा करती है। बातचीत ऐसा...
हँसने वाला और हँसेगा इससे ज़्यादा क्या होगा मेरा ग़ुस्सा और बढ़ेगा इससे ज़्यादा क्या होगा पानी मेरे शहर तलक...
"कवि सम्मेलन के मंच केवल हाँसी ठिठोली बर नइ होवय, मंच के माध्यम ले कवि संदेश देथे समाज ला अउ...
एक घाव एक झिन रद्दा रेंगइया मनखे हर जंगल कोती ले जावत रिहिस। जेठ के महिना रिहिस। घाम हर मुड़ी...
पत्रकारिता और साहित्य कभी समाज के दो पलड़े रहे होंगे। जो भी पत्रकार होता था कमोवेश सहित्य में भी दखल...
कश्तियां मझधार में हैं नाख़ुदा कोई नहीं अपनी हिम्मत के अलावा आसरा कोई नहीं शोहरतों ने उस बुलंदी पर हमें...