मेघ और धरती
मेघ ! तुम इतना बरसते हो भिगो देते हो धरती के अंग अंग को अपने जल से सराबोर कर देते...
मेघ ! तुम इतना बरसते हो भिगो देते हो धरती के अंग अंग को अपने जल से सराबोर कर देते...
आज भारतवर्ष के लोग जिन लोगों के अविश्वसनीय योगदान की बदौलत आजादी की खुली फिजा में विचरण कर रहे हैं...
छत्तीसगढ़ के रजत कृष्ण एक महत्वपूर्ण लोकधर्मी कवि हैं!वे पेशे से प्राध्यापक और वर्तमान में सर्वनाम पत्रिका के संपादक भी...
कविता - एक ------- चेहरे नहीं धड़कनें तैरती हैं आँखों में प्यार में ****** कविता - दो ------ रहो कहीं...
फ्रेंच कविताओं की अनुवाद शृंखला में योजना रावत ने कवि जेम्स साक्रे की कविताओं का अनुवाद किया है। कवि परिचय...
पूरा जीवन राष्ट्र संस्कृति और बलिदानियों की गाथा जन जन तक पहुँचाने में समर्पित.. सुप्रसिद्ध राष्ट्र कवि श्रीकृष्ण सरल का...
डाकुओं ने उसे कुछ दिन नहीं वर्षों तक अपने साथ रखा फिर भी डाकू न बना सके विष न भर...
बस, तुम ही तो हो जो उत्ताल लहरों- सी उछलती समंदर की श्वेत बालू पर मेरे बदन से लिपट जाती...
क्या खोना है, क्या पाना है, जो मिलना वो गुम जाना है .. सांसें होतीं खर्च सपन पर, दौड़ा-भागी है...