शरद पूर्णिमा पर एक गीत….
आज शरद की रात, आज अमृत बरसेगा। अपनी सोलह कला समेटे, चांद दिखेगा और भी सुंदर। शुद्ध दूध से खीर...
आज शरद की रात, आज अमृत बरसेगा। अपनी सोलह कला समेटे, चांद दिखेगा और भी सुंदर। शुद्ध दूध से खीर...
लेख लम्बा अवश्य है परंतु आवश्यक है पढ़ें अवश्य। महारास शरद पूर्णिमा के दिन रचा गया था, कहतें हैं की...
डोली शाह फिरंगी लाल की कपड़े की छोटी-मोटी दुकान थी। लेकिन ग्राहकों की हर पसंद वहां मौजूद थी ।उसी दुकान...
सुबह के उजालों से आंखें चुराकर अंधेरी निशा से डरे तो नहीं हो?? चुनौती से लड़ने का उत्साह खोकर मरने...
औरतें तुम जाकर कहीं मर क्यों नहीं जाती हो बार बार तुम कभी चारे की तरह कभी दूब की तरह...
तेज़, बहुत तेज़, एक लय में बारिश के बूँदों की सीधी धार, इतनी सघन कि ठीक से दिखाई न दे...
छोड़ दे सीधा-सादा रहना, हुश्यारी भी सीख ज़रा, दुनिया में जीना है तो दुनियादारी भी सीख ज़रा। आख़िर कब तक...
"यह क्या कह रहे हो राजा, तुम नौकरी छोड़ कर क्या करोगे बेटा पागल हो गये हो क्या ?" "हाँ...
नशा नाश की जड़ है, सुन लो प्यारे बात हमारी, ये चक्कर घनचक्कर है। नशा नाश की जड़ है ।...
लुईज़ा ग्लुक अमेरिकी कवि थीं। आज उनका देहान्त हो गया। कभी मैंने उनकी इस कविता का अनुवाद किया था। उन्हें...