ठूंठ लहराया
उस अवस्था में मैं विकारों से भरा हुआ था। बिना विकार, कोई जीव होता है क्या? पत्थर में भी विकार...
उस अवस्था में मैं विकारों से भरा हुआ था। बिना विकार, कोई जीव होता है क्या? पत्थर में भी विकार...
'मैंने कोई गलती नहीं की इनसे शादी करके। आखिर हम दोनों ने मनपसंद शादी की है।' अनुराधा मीटिंग में बड़ी...
बढ़ी सजकता से बोर्ड परीक्षा में कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी कर रहा था । मैंने पहले ही मन मे ठान...
खुशियों का पुष्पन-पल्लवन... धरती से धड़ाधड़ जंगल कटते जा रहे हैं कंक्रीट के महल खड़े होते जा रहे हैं हमारे...
परिचय - ज्ञानीचोर शोधार्थी व कवि साहित्यकार मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर राज. पिन - 332027 मो. 9001321438 दोपहर धूप बड़ी तेज...
"प्रकृति" तुम्हारा कुछ पल आ जाना तुम्हारा कुछ पल आ जाना ही काफी हो जाता है। पर आज जी नहीं...
देख सजनी देख ऊपर।। इंजनों सी दड़दड़ाती, बम सरीखी धड़धड़ाती रेल जैसी जड़बड़ाती, फुलझड़ी सी तड़तड़ाती।। पंछियों सी फड़फड़ाती,पल्लवों को...
हम जब साहित्य और स्वतंत्रता दिवस की बात करते हैं तब हमारे मन में अनायास ही देशभक्ति गीत कानों में...
"कब तक इन बेड़ियों में..." सजती नहीं है दुल्हन अब डोलियों में । अब वो दम नहीं शिकारियों के गोलियों...