दीपा साहू की कविताएं
"प्रकृति" तुम्हारा कुछ पल आ जाना तुम्हारा कुछ पल आ जाना ही काफी हो जाता है। पर आज जी नहीं...
"प्रकृति" तुम्हारा कुछ पल आ जाना तुम्हारा कुछ पल आ जाना ही काफी हो जाता है। पर आज जी नहीं...
देख सजनी देख ऊपर।। इंजनों सी दड़दड़ाती, बम सरीखी धड़धड़ाती रेल जैसी जड़बड़ाती, फुलझड़ी सी तड़तड़ाती।। पंछियों सी फड़फड़ाती,पल्लवों को...
हम जब साहित्य और स्वतंत्रता दिवस की बात करते हैं तब हमारे मन में अनायास ही देशभक्ति गीत कानों में...
वो जुबाँ पर सवार होती तो। बात कुछ धार-दार होती तो। जान लेती मलाल भीतर के, जब नज़र भी कटार...
"कब तक इन बेड़ियों में..." सजती नहीं है दुल्हन अब डोलियों में । अब वो दम नहीं शिकारियों के गोलियों...
सांस-सांस समर्पित, मेरे प्राण समर्पित । है निवेदन ! करो स्वीकार रक्त का कण -कण । न झुकने दूंगा भाल,...
ओ नौनिहालों अब लाज अपने वतन की, तुम्हारे इन हाथों में है इसे तुम संम्हालोगे। तुम्ही कर्मवीर तुम्ही बांके रणधीर,...
कहानी मनुष्य के सामाजिक विकास के प्रारंभिक दौर से ही प्रचलित रही है. सम्भवतः कहानी जीवन के यथार्थ घटनाओं को...
(1) ये तो सच है दौलत पास नहीं है, लुट जाने का डर भी ख़ास नहीं है। बातें होंगी जी-भर...
डोरबेल बजाने के साथ दरवाजा भी थपथपाया जा रहा था। मैं समझ गयी हमारी मेड होगी। इतनी जल्दबाजी उसे ही...