सुशील साहिल की कविता
सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता हमसे दरवेश का कुन्बा नहीं बदला जाता तुमने जो चीज़ जहाँ रक्खी...
सब के कहने से इरादा नहीं बदला जाता हमसे दरवेश का कुन्बा नहीं बदला जाता तुमने जो चीज़ जहाँ रक्खी...
बल्ली सिंह चीमा एक ऐसे गीतकार जो खेतों में गीत गाते हैं । 2 सितम्बर 1952 को चीमाखुर्द अमृतसर में...
"सूनी कलाई" राह तकती है तुम्हारी, आज यह सूनी कलाई.... स्मृति बस स्मृति ही , शेष है सूने नयन में...
तेईस अगस्त तेईस में भारत, तकनीकी लोहा विश्व को मनवाता है। वैज्ञानिकों के संकल्पों बल से, देखो जोड़ो सीना छप्पन...
विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएँ केश तुम्हारे घुंघराले, ज्यों केशकाल की घाटी देह तुम्हारी ऐसे महके, ज्यों बस्तर की माटी....
धान रोपना भी एक कला है यह नहीं कि रोपा हाथ में पकड़ा और गाड़ दिया पूरी ताकत से खेत...
आज आनंद बक्षी का जन्मदिन है । मेरे कवि मित्र नासिर अहमद सिकंदर ने जितना केदारनाथ अग्रवाल और अन्य कवियों...
बेला मांगा था बरसात में तुमसे... बरसते मेघ, बेला और मैं इंतज़ार की अग्नि में झुलस कर रीत गए.... आज...
नवगीत - अक्षय पाण्डेय महाराज सोये हैं भीतर बाहर है दंगा, औरत नंगी नहीं हुई यह देश हुआ नंगा। हम...