“प्रेम पाश नहीं, खुला आकाश है!”
प्रेम पास नहीं तो क्या! खुलने दो उसके पंख... विचरने दो उसे स्वच्छंद एक नये क्षितिज पर वह निजाकार लेगा...
प्रेम पास नहीं तो क्या! खुलने दो उसके पंख... विचरने दो उसे स्वच्छंद एक नये क्षितिज पर वह निजाकार लेगा...
छुपा है क्या इरादा अब तुम्हारा साफ़ दिखता है मनाओ जश्न अच्छे दिन हैं आए मुल्क बिकता है लगी है...
चलती थमती, साँसों की तरतीब में नहीं आत्मा में निरन्तर बजते संगीत की अनगढ़ लय में लौटना । किस विधि...
आई राखी आई रे ढेरों खुशियां लाई रे ये दौर ने तो गजब ढाया डाकिए को घर- घर दौड़ाया जिसने...
लाल पत्थरों का देश मेरा मादरेवतन.... दहशतगर्दी के दहकते अंगारों से झुलसती धरती पर सब्ज़-ख़याल! ख़याली तो नहीं हैं महज़...
कैसे मिली थी हमें आज़ादी, ज़िन्दगी में आई थी आधी राति। कितने खून बहा ले गई, क्रांतिवीरों के खून से,...
भूख के मनोविज्ञान का एक जरूरी पाठ है भात बाऊग , ब्यासी ,निराई , गुड़ाई से लेकर क्वाँर की प्रखर...
ग़ज़ल - रमेश कँवल 'जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं' वो रह रह के अब याद आने लगे हैं मेरी...
क्या अदा है छुप-छुपाकर देखते हैं, वो हमें नजरें बचाकर देखते हैं। किस कदर कातिल अदा अंदाज देखो, वो मुझे...
इस दुनिया में मोटे तौर पर दो तरह के लोग होते हैं एक वो जो इस्तेमाल करना जानते हैं और...