देवारी मँ बारबो माटी के दीया
विधा- सम मात्रिक छंद विधान- चार पद,प्रत्येक पद 16-16 मात्राएँ, युगल पद तुकांत, पदांत ऽऽ विकल्प ऽ।।,।।ऽ या ।।।। मान्य,...
विधा- सम मात्रिक छंद विधान- चार पद,प्रत्येक पद 16-16 मात्राएँ, युगल पद तुकांत, पदांत ऽऽ विकल्प ऽ।।,।।ऽ या ।।।। मान्य,...
1222--1222--1222--1222 काफ़िया - उठाते रदीफ़ - हैं नहीं किरदार है ऐसा जो गिरते को उठाते हैं। कहाँ इंसानियत कोई बची...
मैं... गोबर-माटी से लिपी-पुती देहरी तुम... आटे, हल्दी, रोली से बने खुशियों की रंगोली मैं... आँगन के बीचों-बीच तुलसी का...
आंख से कोई पर्दा उठा ही नहीं जो तमाशा था होना हुआ ही नहीं इश्क़ तो बस वो पहले पहल...
क्या आप पहचान सकते हैं कि भवानी प्रसाद मिश्र की कविता के ये चार कौए कौन हैं...कविता पुरानी है, लेकिन...
अदाएँ तुम बना लेना इशारे मैं बनाऊँगा तुम्हारे फूल-जज़्बों को शरारे मैं बनाऊँगा तुम्हारा साथ शामिल है तो फिर तुम...
ट्राम हमारे लिए उतने ही ज़रूरी थे जितना ज़रूरी था हमारे लिए राशन, ट्राम के बिना जीवन की कल्पना की...
(आजादी के तुरंत बाद की रचना) कवित्त (1) श्रम का सूरज उगा, बीती विकराल रात, भागा घोर तम, भोर हो...
कविता बंग्ला मूल के कवि सुनील गंगोपाध्याय की है जिसे हिन्दी में हम तक पहुंचाने का जिम्मा जिस ईमानदारी से...
जब आधी दुनिया स्त्रियो की तो आधी मुसीबत भी होन्गी ही!, उनके लिए तिलमिलाहट क्यूँ! किशोर होते पुरूष का भी...