कविता
हावड़ा वाले पुल पर से
■ शहंशाह आलम ग़ज़ब है भादों, जो मेरे घर को आधा पानी आधा घर दिखा रहा था हावड़ा वाले पुल...
हाँ, मैं तुमसे प्यार करता हूँ
-------------------------------- कविता / डॉ. वागीश सारस्वत हाँ, मैं तुमसे प्यार करता हूँ तुम भी बखूबी जानती हो ये बात जान...
तुम जानते हो पुरूष ..!
कविता को धैर्य पूर्वक पढ़ सकने का समय दे सकें तो पढ़े। कविता विस्तारित है किंतु , स्त्री मन की...
चन्द्र शेखर आजाद – एक दृढ़ संकल्प क्रांतिकारी
क्रांति का सुलगता गीत थे तुम स्वातंत्र-समरांग के संगीत थे तुम तेजाब बनकर आंख में अंगार के शोले जगाए दुश्मनों...
बारिश के लोकनृत्य में…
सावन के बादल घिर रहे हैं घिर रहे हैं अभी घिर ही रहे हैं और हवा की गति बढ़ गई...