फ्रिज का पानी ~ बाल कविता
मत करना तुम यह नादानी।।कभी न फ्रिज का पीना पानी।। बार-बार अब छींक सताये।नाक बहुत बहती ही जाये।। दुख देता...
मत करना तुम यह नादानी।।कभी न फ्रिज का पीना पानी।। बार-बार अब छींक सताये।नाक बहुत बहती ही जाये।। दुख देता...
पढ़ा जा रहा न लिखा जा रहा हैलिखा था कभी वो मिटा जा रहा है सुना जा रहा न कहा...
बेटे ने लाख चाहा था, पाई न दे सकापापा के हाथ पहली कमाई न दे सका परबत की थी उम्मीद,...
कविता में भी घुसे हुए हैंशब्दों के व्यापारीचला रहे हैं खाल ओढ़करअपनी दुकानदारी संपादक हैं ,आयोजक हैंइनमें हैं कुछ नेताढूँढा...
शुभ मुहरत अक्षय तिथि हावय, कहिथें वेद पुरान।एही दिन तो सतयुग त्रेता, रचे रहिस भगवान।। चलौ मनाबो जुरमिल अक्ती, पावन...
शुभ मुहरत अक्षय तिथि हावय, कहिथें वेद पुरान।एही दिन तो सतयुग त्रेता, रचे रहिस भगवान।। चलौ मनाबो जुरमिल अक्ती, पावन...
उतरना पड़ता है गहराई मेंज्ञान को पाने के लिएविज्ञान को समझने के लिए प्रेम को पाने के लिएकला को सीखने...
1. मैं हूँ बस एक इन्सां, इन्सां ही समझा जाये यक्षमुझको न कोई मज़हब या ज़ात ही बताये हम आइने...
जन्म : ब्याना, करनाल (हरियाणा )विधा : छन्द, ग़ज़ल, गीत, बालगीत, भजन, हाइकु, सेदोका, चोका, क्षणिका, आलेख, समीक्षा, व्यंग्य एवं...
मदन कश्यप मेरे बालों में रूसियाँ थींतब भी उसने मुझे प्यार कियामेरी काँखों से आ रही थी पसीने की बूतब...