कविता
अधूरेपन के बीच से चला जाऊँगा
अधूरेपन के बीच से चला जाऊँगा अपूर्ण कविता की तरह रह जाना चाहता हूँ उसकी संभावना में मुरझाने से पहले...
मिट्टी दिवस पर एक नवगीत
इक दिन हम सब लोग, मिलेंगे मिट्टी में । लेकिन मिलकर हमीं, खिलेंगे मिट्टी में ।। मिट्टी है अनमोल, इसे...
प्रेम कविता
मैं लिखना चाहता हूँ एक अच्छी प्रेम कविता पर आड़े आ जाता है तुम्हारा प्रेम तुम्हारा प्रेम यानी कि जो...
सब उम्मीदें टूट गई तो
सब उम्मीदें टूट गई तो आशाऐं भी रूठ गई तो दुख ने आकर घेर लिया था सबने ही मुँह फेर...
कविताएँ लिखनी चाहिए
जैसा कि एक कवि कहता है कि मातृभाषा में ही लिखी जा सकती है कविता तो मातृभाषा को याद रखने...
सापेक्ष्य-संवेदन
बम फटने का दु:ख तो होता है पर उतना ज़्यादा नहीं,चाय के — ठंडे होने के दु:ख जितना। कहीं देखकर...
नौकरी मे यूँ हुआ अक्सर
नौकरी मे यूँ हुआ अक्सर जोकरों को भी कहा सर सर। चार मिसरे जो न लिख पाए मंच पर बैठे...
ताज़ा ग़ज़ल
न दैरो हरम का पता चाहती हूँ ये रब जानता है मैं क्या चाहती हूँ के दम घुट रहा है...