आधे-अधूरे : पूर्णता की तलाश बेमानी है
मोहन राकेश जी का यह नाटक अपने पहले मंचन(1969) से ही चर्चित रहा है.तब से अब तक अलग-अलग निर्देशकों और...
मोहन राकेश जी का यह नाटक अपने पहले मंचन(1969) से ही चर्चित रहा है.तब से अब तक अलग-अलग निर्देशकों और...
तटस्थता का इतिहास, उसके गद्दार होने की गवाही में साबित हो चुका है। इस पर हमारे समय के कई महत्वपूर्ण...
शायरी की परंपरा बहुत पुरानी है और काफी मथी जा चुकी है।फ़ारसी-उर्दू-हिंदी की यह परम्परा मुसलसल जारी है, और लोकप्रिय...
भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम नार्वे और स्पाइल दर्पण पत्रिका नार्वे के संयुक्त तत्वावधान में मुंशी प्रेमचंद जयंती के...
धूप और छाँव ये मेरा गाँव, तालों पर चलता, ये डगमग नाँव, बरगद का पेड़, तालों का किनारा, शाम जहाँ...
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन 122 122 122 122 ग़ज़ल _ 1 -------------------------------- तुम्हें कुछ ख़बर है...
(1) रूप तेरा बहुत सलोना है, चाँद को शर्मसार होना है। हाथ नाजुक तेरे सुकोमल से, और मासूम दिल का...
कुनबे का एक सूर्य अपनी रौशनी बुझा गये , सभी परिवार वालों को वो बेसबब रुला गये । कहां गये...
हाइबन विधा हाइकु,तांका, सेदोका और चोका विधा की ही तरह एक जापानी विधा है। इसके बारे में विस्तृत जानकारी निम्नानुसार...