कश्तियां मझधार में हैं नाख़ुदा …
कश्तियां मझधार में हैं नाख़ुदा कोई नहीं अपनी हिम्मत के अलावा आसरा कोई नहीं शोहरतों ने उस बुलंदी पर हमें...
कश्तियां मझधार में हैं नाख़ुदा कोई नहीं अपनी हिम्मत के अलावा आसरा कोई नहीं शोहरतों ने उस बुलंदी पर हमें...
एक प्रेस विज्ञप्ति में पुरस्कार की घोषणा करते हुए संस्था की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने कहा हेमंत फाउंडेशन (पंजीकृत)...
1947 में बीकानेर राजस्थान में जन्मीं रेशमा ने बेहद कम उम्र से गाना शुरू कर दिया था। जब वह 12...
आलेख हमर छत्तीसगढ़ म अब्बड़ तिहार मनाये जाथे; अउ मनाना घलो चाही, काबर की तिहार मनाये ले लोगन म मया-दुलार...
रख देना चाहती हूं तुम्हारी हथेलियां पर इसके तारे इसका चांद इसके बादल इसका सूरज भर देना चाहती हूं तुम्हारी...
डूबती नाव के सवार मिले ख्वाब लेकर के तार- तार मिले * हम उन्हें क्या नसीहतें देते ऊंघते लोग बार...
न अपने पास पाने के लिए कुछ है न खोने के लिए कुछ है जो कुछ है खोने पाने के...
साथी अजय चंद्रवंशी द्वारा मेरी चयनित कविताओं के संग्रह पर समीक्षा। उनके प्रति आभार के साथ यह - बुद्धिलाल पाल...
अभी तो इतनी उमर भी नहीं गुज़री, और उठने लगी घुटनों से लहर मारती कोई दुर्दांत टीस हरसिंगार के झड़ने...
इतना मत व्यवधान रखा कर अपना थोड़ा ध्यान रखा कर भीड़ में तन्हा क्यूँ रहता है इक-दो से पहचान रखा...