वरिष्ठ कथाकार आशा प्रभात का नया उपन्यास उर्मिला (राजकमल प्रकाशन) पढ़ गई. क्या कहूँ …
बस मुग्ध हूँ, नम हैं आँखें… लेखन पर मुग्ध और उर्मिला की पीड़ा के सटीक बयान पर नम हैं आँखें....
बस मुग्ध हूँ, नम हैं आँखें… लेखन पर मुग्ध और उर्मिला की पीड़ा के सटीक बयान पर नम हैं आँखें....
इस दहशतगर्द मौसम में कुत्ते भौंकते तो है जबकि आदमी सभ्यता का लबादा ओढकर दडबे में हो जाता है कैद...
डॉ सुधीर शर्मा छेरछेरा छत्तीसगढ़ का लोक तिहार है। यह लोक को धर्म, अध्यात्म, इतिहास और संस्कृति से जोड़ता है।...
रात, कुत्ते रो रहे थे, पता नहीं अशगुन होने वाला था हमारे लिए या वे हमारे किए अशगुन पर रो...
तुम जल्दी ही सबके सम्मुख अपनी अपूर्ण संपूर्णता में उपस्थित होंगी। सबकी शुभकामनाओं के लिए, प्रेम, अपनत्व और आलोचनाओं के...
ऐसा बहुत कुछ है जो जीवन में मैने नही किया लेकिन ऐसा भी कुछ है जो सिर्फ मैने किया। नही...
ऐसे ही किसी ऊँघते हुए दिन में आह्वान और विसर्जन की तय सीमा को लाँघकर झिँझोड़ने लगती है हठिली यह...
जाओ उन्हे बता देना -------------------- जाकर कह देना उन्हे मैं बहुत दूर निकल आई हूं इतनी कि लौट भी नही...
मनरेगा कार्य समुदाय के लिए परती भूमि का विकास कार्य में संलग्न मनरेगा मजदूरों के द्वारा छेरिक-छेरा पर्व मनाया गया,...
मेरे पड़ोस की एक प्यारी सी लड़की सन्नो;(शोभा) चिड़िया सी इस आंगन से उस आंगन फुदकने वाली,बेहद मीठी आवाज़ जब...