साहित्य
उर्दू व्यंग्य : मूल रचनाकार – मुज्तबा हुसैन
अनुवाद - अख्तर अली पुण्य तिथि पर स्मृति लेख जब जब उनकी पुण्यतिथि आती है वह बहुत याद आते हैं...
सुन रहा हूँ इस वक्त : लोक जीवन मे आस्था का स्वर
युवा कवि सतीश कुमार सिंह मुख्यतः नव गीतकार के रूप में जाने जाते रहे हैं, मगर इसके समानांतर वे कविताएं...
हिंदी ग़ज़ल : सब कुछ तेरा…
हिंदी ग़ज़ल : सब कुछ तेरा... हवाएं तेरी, शहर तेरा, मंजिल तेरी, पर ख़्वाब सारे मेरे होंगे । फिजाएं तेरी,...
ऑफ द रिकॉर्ड ! (पांच) : पत्रकारिता के खतरे !!
वेदव्यास ने क्या कहा या बोला था? हमें पता नहीं.हम तो केवल उतना ही जानते है जिसे गणेश जी ने...
कलम बनी आगोश
वक्त बदल जाता बहुत, सब दिन नहीं समान। शेष समय जरूर करो, तुम पूरे अरमान। मुखिया मुख सो चाहिए, तुलसी...
आई हैवन्ट डाइड येट !!!
लन्दन की पार्लियामेंट स्क्वेयर पर टहलते हुए अचानक गांधी दिख गए। बेहद आश्चर्य हुआ। ब्रिटिश क्राउन का सबसे बड़ा ज्वेल-...
पहुना संग गोठ-बात : श्री मदन शर्मा – जिनके हाथ से ढोलक बोलता है
अस्मिता और स्वाभिमान के अगस्त अंक में आइये मिलते हैं... "चंदैनी-गोंदा" महान सांस्कृतिक लोकमंच के एक और सितारे से आज...