आधे-अधूरे : पूर्णता की तलाश बेमानी है
मोहन राकेश जी का यह नाटक अपने पहले मंचन(1969) से ही चर्चित रहा है.तब से अब तक अलग-अलग निर्देशकों और...
मोहन राकेश जी का यह नाटक अपने पहले मंचन(1969) से ही चर्चित रहा है.तब से अब तक अलग-अलग निर्देशकों और...
लड़की बिछड़ने के दस साल बाद लड़के के शहर में आई है ! जब दोनों साथ थे तब कहा करते...
भारतेंदु युग के प्रमुख स्तंभ पंडित प्रताप नारायण मिश्र की अल्प आयु में पिता की मृत्यु के चलते औपचारिक पढ़ाई...
रायपुर. जन संस्कृति मंच लेखक,साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों का सबसे महत्वपूर्ण संगठन है. इस संगठन का 16 वां राष्ट्रीय सम्मेलन रायपुर...
गाॅंव में सामाजिक परिवर्तन किस तरह से किया जा सकता है,इस संदर्भ में उच्च शिक्षित लड़कों में चर्चा हो रही...
मन की बगिया सजाना चाहूं । मैं एक दीप.....जलाना चाहूं ।। एक दीप.... जीवन के गगन में, एक दीप अंतर्मन...
जीवन का पहला शतक पूरा करने से कुछ महीने पहले ही द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपनी इहलीला...
मुक्तिबोध पुण्य तिथि पर आलोचक विनोद तिवारी मुक्तिबोध परिवार और साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के व्याख्यान समारोह में आलोचक...
कहीं यौवन तो मेरा लापता हो गया कोई चुरा ले गया कि खुद खो गया सब कहते हैं बड़ा ही...
अतीत से भारतीय समाज मे कई प्रजातियों, धर्मों, संप्रदायों के लोग आकर घुलते-मिलते रहे हैं. इनमे से कइयों की पहचान...