April 21, 2025

साहित्य

आधे-अधूरे : पूर्णता की तलाश बेमानी है

मोहन राकेश जी का यह नाटक अपने पहले मंचन(1969) से ही चर्चित रहा है.तब से अब तक अलग-अलग निर्देशकों और...

जयंती विशेष (24 सितंबर) : जपो निरन्तर एक ज़बान, हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान..

भारतेंदु युग के प्रमुख स्तंभ पंडित प्रताप नारायण मिश्र की अल्प आयु में पिता की मृत्यु के चलते औपचारिक पढ़ाई...

फ़ासीवाद के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने रायपुर में जुटेंगे पांच सौ से ज्यादा लेखक, साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी

रायपुर. जन संस्कृति मंच लेखक,साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों का सबसे महत्वपूर्ण संगठन है. इस संगठन का 16 वां राष्ट्रीय सम्मेलन रायपुर...

हिंदी कविता- एक दीप जलाना चाहूं…

मन की बगिया सजाना चाहूं । मैं एक दीप.....जलाना चाहूं ।। एक दीप.... जीवन के गगन में, एक दीप अंतर्मन...

महारानी बड़ी या शंकराचार्य ?

जीवन का पहला शतक पूरा करने से कुछ महीने पहले ही द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपनी इहलीला...

जीवन का विवेक ही साहित्य का विवेक है

मुक्तिबोध पुण्य तिथि पर आलोचक विनोद तिवारी मुक्तिबोध परिवार और साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के व्याख्यान समारोह में आलोचक...

मेरी नवीनतम कविता : यौवन मेरा लापता हो गया

कहीं यौवन तो मेरा लापता हो गया कोई चुरा ले गया कि खुद खो गया सब कहते हैं बड़ा ही...

गहरी जड़ें : भारतीय मुस्लिम परिवेश की कहानियाँ

अतीत से भारतीय समाज मे कई प्रजातियों, धर्मों, संप्रदायों के लोग आकर घुलते-मिलते रहे हैं. इनमे से कइयों की पहचान...