साहित्य
आलोचना का लोकधर्म : आलोचना की लोकदृष्टि
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी शाकिर अली जी कवि, आलोचक, एक्टिविस्ट कई रूपों में दिखाई देते हैं। लेकिन इन सब मे...
सावन को बरसते देखा है
खेतों में, खलियानों में, सावन को बरसते देखा है । झर-झर झरती बूंदें मोती जैसी पेडों के पत्तों पर चमकती...
कविता – भूल ही तो है
**जब आदमी खुद को बेताज बादशाह समझे आप कुछ भी बयां करें,भूल ही तो है*। **सुनना नहीं चाहता जमीं से...
पंच से पक्षकार
हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आखिरी पड़ाव तक दोनों के रिश्ते ठीक-ठाक थे। दोनों ने आपसी...
वक्त की उलझनें
विधा -विचार कविता परिचय - ज्ञानीचोर मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर राज. पिन - 332027 मो. 9001321438 वक्त की उलझनें करती है...
स्वतंत्रता और साहित्य
हर युग का साहित्य उस काल का आईना रहा है उस आईने में हम उस देशकाल में घटित घटनाओं को...
प्रेमचंद की स्मृति में : कहानी क्या होती है ?
- शैलेन्द्र चौहान हिन्दी के लेखकों में प्रेमचंद पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने लेखों में कहानी के सम्बंध में अपने...
अजिता त्रिपाठी की दो कविताएं
1 मां की बिंदी लगी है घर के दरवाजे पर और पिता की कलम पड़ी है मेज पर मां सर...