लघुकथा : साथ-साथ
पाँच ही दिन हुए थे रेवती को अपनी ससुराल पचेड़ा आये। देह से हल्दी का पीलापन भी नहीं गया था।...
पाँच ही दिन हुए थे रेवती को अपनी ससुराल पचेड़ा आये। देह से हल्दी का पीलापन भी नहीं गया था।...
मृत्यु जब मेरे सिरहाने खड़ी होगी... जब किसी दिन मृत्यु मेरे सिरहाने खड़ी होगी मुझे वास्तव में डरा रही होगी...
-डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर जैन धर्म की मुख्य दो धाराएँ हैं- एक दिगम्बर जैन और दूसरे श्वेताम्बर जैन। दिगम्बर,...
रो कर हंसना ही नाम जिंदगी, क्षण-क्षण संघर्ष नाम जिंदगी । नित-नित चलना - रुकना, सफल- असफल नाम जिंदगी ।...
चारों ओर सन्नाटा पसरा और अंधियारी छाई है, क्रूर कोरोना ने मेरे भैया अपनी धूम मचाई है । और उग्र...
मिला मानव जीवन सबको, नेक कर्म में सभी लगाएं।। त्याग मोह माया, द्वेष भाव, प्रभु भक्ति में रम जाएं।। मंदिर...
तुम लौट आओ....! तुम्हारे आने से, गुनगुनायेंगी खिड़कियां, महक जाएगा घर का कोना- कोना। कहां बैठे हो..! धूप को लपेटकर,...
विधा – कविता टूट रहीं हैं परतें विश्वास की दरक रहें है पहाड़ चोट खाकर बातों के भूकंप से ही...
हमारी पीढ़ी, जिसने युग को करवट लेते देखा है अपने पैरों चलकर जिसका स्वागत किया है, अभिभूत है ईश्वर की...
विनोद कुमार शुक्ल जन्मदिवस समारोह 1 जनवरी 2022 रपट- जीतेश्वरी साहू आप सब मित्रों के सहयोग और सक्रिय उपस्थिति से...