रजोनिवृत्ति
ऐसे ही किसी ऊँघते हुए दिन में आह्वान और विसर्जन की तय सीमा को लाँघकर झिँझोड़ने लगती है हठिली यह...
ऐसे ही किसी ऊँघते हुए दिन में आह्वान और विसर्जन की तय सीमा को लाँघकर झिँझोड़ने लगती है हठिली यह...
जाओ उन्हे बता देना -------------------- जाकर कह देना उन्हे मैं बहुत दूर निकल आई हूं इतनी कि लौट भी नही...
सुनो समय के नए विधाता प्रभुता की लघुता के क़िस्से दुनिया भूल नहीं पाती है शब्द भेदने वाली विद्या लक्ष्य...
वो नीली चिट्ठियां कहां खो गई जिनमे लिखने के सलीके छुपे होते थे कुशलता की कामना से शुरू होते थें...
तुम्हारी दुआएं,आशीर्वाद और ममता.. सदा मेरे साथ हैं... क्या तुम जानती हो मां.... तुम्हारी खुशियां,तुम्हारे गम और टीस सदा मेरे...
निम्बू का सीना चीरकर चाहे कितने ही तरतीब से क्यों न निकाल ही दिए जाएं उसके सारे के सारे बीज...
दिल पे छाएगी ख़ुमारी देखना। अपनी भी नग़मानिगारी देखना। शर्तिया जाएगा ये गुल जान से। हो गई कांटों से यारी...
कि एक शाँत समंदर सी लड़की, चुलबुली चहकती चिड़िया सी लगी, उसके धीमे कदमों की आहट भी, बारिशों में थिरकते...
बेटियाँ बेटियाँ घर की सुहानी भोर है अब उजाला देख लो चहुँओर है ।। पीर सहके भी नहीं कुछ बोलती...
तेरी यादों से बातों से मुझे फुरसत नहीं मिलती। मेरे ख़्वाबों में उभरी जो वही मूरत नहीं मिलती। कई चेहरे...