बून्दों का समर्पण
सागर की बेचैनियां समझ बारिश की बून्दें उसकी लहरों में जब कर देती हैं अपना सब कुछ अर्पण तरल मनोरम...
सागर की बेचैनियां समझ बारिश की बून्दें उसकी लहरों में जब कर देती हैं अपना सब कुछ अर्पण तरल मनोरम...
संगीत और इश्क की दुनिया किसी सरहद को नहीं मानती.चीन की लोक कथाएं और प्रेम कविताएं बेहद दिल धड़काने वाली...
हर ओर से खारिज, खत न समझ मैं नींव हूं घर की,छत न समझ * लिखने की सजा पायी है...
बड़ा ही अटपटा था मित्र अत्याचार हो जाना। सभा थी राम की लेकिन सिया पर वार हो जाना। खड़े थे...
एक नई रस्म बनाते है बेटी की जगह बेटों को विदा कराते है बेटों की मांग भराई करते है दहेज...
जब तय करेंगे बसंत से पतझड़ का सफर हमतुम, तब करना तुम प्रेम सर्वाधिक। जब संताने जा बसेगीं अपने अपने...
भावों की गहनता में भावों की गहनता में कोई इतना डूब जाए और लिख दे उन्हें कलम उठाकर पन्नों पर...
जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि, नई दिल्ली के निर्णायक मण्डल की ओर से वर्ष 2020 का 'जनकवि नागार्जुन स्मृति सम्मान' प्रख्यात...
मैं हमेशा सफ़र पर होती और वह हमेशा स्टेशन पर आधी रात, भोर या दिन-दोपहर हर बार वह मिलता मुझे...
दिन आए फिर तरह- तरह से ठंड भगाने के आंख, नाक को छोड़ सभी अंग बंद कर जाने के मन...