कविता
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
ग़ज़ल - रमेश कँवल 'जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं' वो रह रह के अब याद आने लगे हैं मेरी...
अशोक शर्मा
क्या अदा है छुप-छुपाकर देखते हैं, वो हमें नजरें बचाकर देखते हैं। किस कदर कातिल अदा अंदाज देखो, वो मुझे...
रहिमन पानी राखिए
इस दुनिया में मोटे तौर पर दो तरह के लोग होते हैं एक वो जो इस्तेमाल करना जानते हैं और...
रास्ते मुश्किल
राह लंबी मंज़िल दूर सही चलने से मैं न डरूंगी ज़माने के पास उलाहनों ,तानों के सिवा कुछ भी नहीं...
अजय शर्मा ‘दुर्ज्ञेय’ की 5 कविताएं
1)थोपा गया हिंदुत्व! _______________________ वे समीप आते हैं और समीप आकर इस उम्मीद के साथ उद्घोष करते हैं कि मैं...
अब जाग रहे हैं…
मीठे भ्रमित राहों से जकड़े हुये बाहों से दूर जल्दी भाग रहे हैं अच्छा है कि जाग रहे हैं। सच...
अपने अपने नियम
कहते हैं आजादी अधिकार है सबका लेकिन इसका प्रयोग करना कहाँ जानते हैं सब? जैसे आदत होती है कुछ पशुओं...
ये वही लड़कियां हैं जिन्हें …..
खुश अब देश है । खुशी भी दी तो स्त्रियों ने अपनी बूते , अपनी मेहनत और लगन से ।...
पद्मलोचन शर्मा मुंहफट की तीन रचनाएं
हम क्या थे और क्या हो गए जीने के अब सारे- अर्थ ही खो गए सोचें हम क्या थे और...