April 19, 2025

कविता

जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया की जयंती पर विशेष

नवा राज बन के बेरा मे, भारी गदगदाए रहे महराज अब कइसे मुंह चोराए कस रेंगत हस-सुखरा के ताना मंथिर...

प्यारी-प्यारी चिड़ियां

सबको बहुत लुभाया करतीं सबका मन हरसाया करतीं सब पर प्रेम लुटाया करतीं प्यारी - प्यारी चिड़ियां कुटिया, बंगला, मंदिर,...

बात धर्म की आते ही कट्टर हो जाते हैं…

बात धर्म की आते ही कट्टर हो जाते हैं अच्छे-अच्छे इंसां भी पत्थर हो जाते हैं कैसी पूजा और इबादत...

(यह कविता उन सभी लोगों को समर्पित है जो अपने प्रिय से दूर आखरी साँसें गिन रहे हैं और अपने प्रिय की एक झलक पाना चाहते हैं)

आख़िरी गीत --------------------- आख़िरी गीत.. मुहब्बत का.. गुनगुना तो चलूँ। अंधेरा छा रहा है.. दीया लड़खड़ा रहा है.. झलक मिल...

डॉ प्रेमकुमार पांडेय की तीन कविताएं

मुद्दे श्मशान की धूंधूं के बीच अखबार पटे रहे बलात्कार हत्या और गुरबत की ताजा- तरीन खबरों से राजा और...

लेखक कवि रवि‌ तिवारी की विविध रचनाएं

आज का चिंतन धर्म और राजनीति धर्म का अर्थ होता है 'धारण करने योग्य".. धर्म मानव जीवन को जीने के...