क्षमा द्विवेदी की कविताएं
मेरा परिचय बस इतना सा।
मेरा परिचय बस इतना सा
मै तीर्थराज प्रयागराज की पुत्री हूं !
मां गंगा की गोदी खेली हूं
मां जमुना मेरी मांसी है संगम की रेती पली बढ़ी वेणी माधव मेरे भाई है !
बजरंगबली नागबासुकी मनकामेश्वर आराध्य मेरे !
अलोपशंकरी मां कल्याणी ललिता मां की छत्र छाया में फली फूली हूं मै !
मेरा परिचय बस इतना सा
मै तीर्थराज प्रयागराज की पुत्री हूं !
—–
घर की शोभा बेटियां
लक्ष्मी आईं है, लेके खुशियां द्वार,
हमारे घर बेटी हुईं!
लक्ष्मी आईं है, लेके खुशियां अपार,
हमारे घर बेटी हुईं!
हुआ है मेरा आंगन गुलो गुलजार,
हमारे घर बेटी हुईं!
लक्ष्मी आईं है लेके खुशियां हजार,
हमारे घर बेटी हुईं
बेटों जैसा बेटी को मानो,
इन दोनों में भेद ना जानो,
बेटी करती दो कुलों को उजियार,
हमारे घर बेटी हुईं!
मात पिता के बेटी से भी भाग्य है जागे,
अब बेटी है आगे आगे,
ऊंचे पद पर है बेटी आज सवार,
हमारे घर बेटी हुईं!
मां बेटी पे स्नेह प्रेम बरसाएं,
बेटी ने ही बेटे बेटी को जाए,
बेटी करती है मां बाप का सपना साकार, हमारे घर बेटी हुईं!
नाचो गाओ बांटो मिठाई,
बेटी जनम पर बजाओ शहनाई,
बांटो दोनों करों से उपहार,
हमारे घर बेटी हुईं!
इंदिरा सरोजनी लक्ष्मी बाई,
कल्पना अंतरिक्ष परी कहाई,
देश को भी है गर्व इन पर अपार,
हमारे घर बेटी हुईं!
आज बिदाई की ये घड़ी है,
द्वारे पर बारात खड़ी है,
कर दो बेटी का सोलह श्रृंगार,
हमारे घर बेटी हुईं!
कितनी जल्दी हो जाती बड़ी है,
दुल्हन बन के बिटिया रानी खड़ी है,
ले लो ले लो बलाईया हजार,
हमारे घर बेटी हुईं!
मात पिता के दिल का टुकड़ा,
दुल्हन बन दमके है मुखड़ा,
आज करदो बिदा ससुराल,
हमारे घर बेटी हुईं!
—-
वात्सल्य ममता की मूरत मां
नेह निश्छल
मन पावन
नज़रों में
ममता
हृदय मनभावन
कुछ
मीठे जज्बात
लिए
अपना जग
साथ लिए
खुशियों
की गोद है
नन्हें
बचपन को
गोद में
और खुशियां
पुलकित
करती सी
मन को
और कुछ
मासूमियत
वो
नज़रों के
नेह में
रंग बिरंगी
नहीं है
तस्वीर
फिर भी
समेट रखे हैं
सबसे
पक्के
सबसे
गहरे रंग
उन
नज़रों ने
उस
तस्वीर में..
ये तस्वीर
ही जैसे
रास्ता है
मन
का तुम्हारे
जुड़ जाने
को
आकर्षित करता
पल
प्रतिपल
कुछ हर्षित
करता
नेह निश्छल
प्रेम पावन
मां की गोद
अति मनभावन 🌼🌺🌺
क्षमा द्विवेदी
तीर्थराज प्रयागराज