इतना मत व्यवधान रखा कर…
इतना मत व्यवधान रखा कर अपना थोड़ा ध्यान रखा कर भीड़ में तन्हा क्यूँ रहता है इक-दो से पहचान रखा...
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इतना मत व्यवधान रखा कर अपना थोड़ा ध्यान रखा कर भीड़ में तन्हा क्यूँ रहता है इक-दो से पहचान रखा...
आज शरद की रात, आज अमृत बरसेगा। अपनी सोलह कला समेटे, चांद दिखेगा और भी सुंदर। शुद्ध दूध से खीर...
लेख लम्बा अवश्य है परंतु आवश्यक है पढ़ें अवश्य। महारास शरद पूर्णिमा के दिन रचा गया था, कहतें हैं की...
डोली शाह फिरंगी लाल की कपड़े की छोटी-मोटी दुकान थी। लेकिन ग्राहकों की हर पसंद वहां मौजूद थी ।उसी दुकान...
सुबह के उजालों से आंखें चुराकर अंधेरी निशा से डरे तो नहीं हो?? चुनौती से लड़ने का उत्साह खोकर मरने...
औरतें तुम जाकर कहीं मर क्यों नहीं जाती हो बार बार तुम कभी चारे की तरह कभी दूब की तरह...
तेज़, बहुत तेज़, एक लय में बारिश के बूँदों की सीधी धार, इतनी सघन कि ठीक से दिखाई न दे...
बिलासपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य जनवादी लेखक संघ के दो दिवसीय राज्य सम्मेलन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा को...
छोड़ दे सीधा-सादा रहना, हुश्यारी भी सीख ज़रा, दुनिया में जीना है तो दुनियादारी भी सीख ज़रा। आख़िर कब तक...
"यह क्या कह रहे हो राजा, तुम नौकरी छोड़ कर क्या करोगे बेटा पागल हो गये हो क्या ?" "हाँ...