1 मई मजदूर दिवस पर मेरी एक रचना
मजदूर मुट्ठी में बंद उष्णता, सपने, एहसास लिए,खुली आंखों से देखता है कोई …..क्षितिज के उस पार। बंद आंखों से...
मजदूर मुट्ठी में बंद उष्णता, सपने, एहसास लिए,खुली आंखों से देखता है कोई …..क्षितिज के उस पार। बंद आंखों से...
सबीर का जन्म 1986 में ईरान के करमानशाह में हुआ. अब वह तेहरान में रहते हैं और इमारतों में निर्माण-कार्य...
: : ग़ज़ल :: कर रहम सब को बचा मेरे खुदा ।दूर कर दे ये बला मेरे खुदा।।सह न पाऊंगा...
(1)कवि होता हैकितना लाचार,मायूस औरनिरीह प्राणी!उसेगढ़नी होती है कविताउन्हीं बेजान शब्दों सेजिनसे लोगचीखते- चिल्लातेगदहे को बाप बनातेऔरतलवे सहलाते हैं| (2)बंधुयह...
हरे प्रकाश उपाध्याय के गद्य और पद्य, दोनों, का मैं प्रशंसक रहा हूँ. उनके उपन्यास 'बखेड़ापुर ' को मैं हिंदी...
कुँअर बेचैन जी भी चले गये •• यह मौत का सिलसिला न जाने कब थमे । आज हिंदी के वरिष्ठ...
इंतजार में पत्थरायी आँखेंछुए जाने की प्रतीक्षा मेंदो व्याकुल अधखुले होंठउँगलियों के स्पर्श को आतुरहथेलियों की सैकड़ों रेखाएँविरह की पराकाष्ठा...
जौहरी की जगह कबाड़ी हैनासमझ धूर्त है , अनाड़ी है बातें करता है रोज़ सागर कीझाँककर देखिएगा हाँड़ी है लोभ...
समकालीन हिंदी कविता के प्रमुख कवि और मेरे अभिन्न मित्र भाई राग तेलंग को हर साल मैं एक ही तरह...