साहित्य
शहर मियामी
अथाह जलराशि के बीच स्थित छोटे छोटे द्वीप जिस ओर नज़र जाती बहुमंजिली इमारतों का संसार नज़र आता एक से...
दरख़्त सा सख़्त
दरख़्त सा सख़्त पल्लव सा नर्म समंदर का कोलाहल वो प्रेम में सृजन दहक उठे तो दावाग्नि क्रोध में विध्वंस...
याद रहोगे मास्टरजी!
बख्शीजी से मैं सातवीं कक्षा में उनकी कहानी के जरिए पहली बार मिला। सहायक वाचन में ‘बालकथा माला‘ नाम की...
व्यवस्था के अंधेरे पक्ष का निर्मम अनावरण है डा. बलदेव की कविता ” अंधेरे में”
81 वीं जयंती के अवसर पर __________________________________ * डा. बलदेव होने का अर्थ * (27 मई 1942 - 06 अक्टूबर...
कविता : गंतव्य
क्या तुम सुनते हो सूर्य के भीतर जल रही हायड्रोजन की आवाज़, जब तुम सूर्य को अर्घ्य दे रहे होते...
यंग की दो सौ साल पुरानी मसूरी
कर्नाटक की गर्मी में कुछ साल बिताने के बाद 1814 के आसपास कैप्टन फ्रेडरिक यंग नामक एक आर्मी अफसर का...
मां जैसी दिखने लगी है वो
" पापा ! ये देखिए , इन आंटी का चेहरा एकदम दादी जैसा लग रहा है । मम्मी आप भी...
युद्ध और शांति
युद्ध का बिगुल या, शांति का दान। अंतर नहीं समझते, हम निरा मूर्ख इंसान। युद्ध की विभीषिका, बना रही श्मशान।...