दो दूना पाँच
सुशांत सुप्रिय कैसा समय है यह / जब भेड़ियों ने हथिया ली हैं / सारी मशालें / और हम निहत्थे...
सुशांत सुप्रिय कैसा समय है यह / जब भेड़ियों ने हथिया ली हैं / सारी मशालें / और हम निहत्थे...
ग़ज़ल : 1 जब से बाज़ार हो गई दुनिया तब से बीमार हो गई दुनिया चंद तकनीक बाज़ हाथों में...
मुझे अपने अस्तित्व को सार्थक करना है। हस्ती भले ही हो पल दो पल की किंतु सुमन बनकर अपनी महक...
मेरे हिस्से के डा.बलदेव ***************** डाँ. देवधर महंत सुरभि स्वत : स्वयमेव विकीर्ण हो जाती है ,उसे किसी विज्ञापन या...
दुःख दर्द मान अपमान चोट घाव चीख आहें कविता इसी दुनिया में बनती बिगड़ती है देखता हूँ कितनी बन सकी...
गांधी जी का प्रथम छत्तीसगढ़ प्रवास दिनांक 20 / 21 दिसंबर सन 1920 में हुआ था दिसंबर 2020 में गांधीजी...
चंदैनी गोंदा का नाम लेते ही अनेक नाम याद आने लगते हैं। संस्थापक दाऊ रामचंद्र देशमुख, गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया, रविशंकर...
कल बापू को देखा ! सपने इतने ख़ूबसूरत भी होते हैं ! -सरला माहेश्वरी सपने में ही सही कल बापू...
डॉ प्रमोदशंकर शर्मा भिलाई छत्तीसगढ़ पहले शिक्षक ही समाज का सबसे बड़ा सितारा होता था।पर आज जो शिक्षा नीति है,उसमे...
मूल लेखक : अन्तोन चेखव अनुवाद : सुशांत सुप्रिय " मैं अपना दुखड़ा किसे सुनाऊँ ? " शाम के धुँधलके...