मर्यादा कहने सुनने की (ताटंक)
कहने सुनने वाली भाषा, शान मर्यादा रखती है। केवल कहने सुनने से जो, दुख भी आधा करती है। बातचीत ऐसा...
कहने सुनने वाली भाषा, शान मर्यादा रखती है। केवल कहने सुनने से जो, दुख भी आधा करती है। बातचीत ऐसा...
हँसने वाला और हँसेगा इससे ज़्यादा क्या होगा मेरा ग़ुस्सा और बढ़ेगा इससे ज़्यादा क्या होगा पानी मेरे शहर तलक...
कश्तियां मझधार में हैं नाख़ुदा कोई नहीं अपनी हिम्मत के अलावा आसरा कोई नहीं शोहरतों ने उस बुलंदी पर हमें...
रख देना चाहती हूं तुम्हारी हथेलियां पर इसके तारे इसका चांद इसके बादल इसका सूरज भर देना चाहती हूं तुम्हारी...
डूबती नाव के सवार मिले ख्वाब लेकर के तार- तार मिले * हम उन्हें क्या नसीहतें देते ऊंघते लोग बार...
न अपने पास पाने के लिए कुछ है न खोने के लिए कुछ है जो कुछ है खोने पाने के...
अभी तो इतनी उमर भी नहीं गुज़री, और उठने लगी घुटनों से लहर मारती कोई दुर्दांत टीस हरसिंगार के झड़ने...
इतना मत व्यवधान रखा कर अपना थोड़ा ध्यान रखा कर भीड़ में तन्हा क्यूँ रहता है इक-दो से पहचान रखा...
आज शरद की रात, आज अमृत बरसेगा। अपनी सोलह कला समेटे, चांद दिखेगा और भी सुंदर। शुद्ध दूध से खीर...
सुबह के उजालों से आंखें चुराकर अंधेरी निशा से डरे तो नहीं हो?? चुनौती से लड़ने का उत्साह खोकर मरने...