एक जीते कवि की काव्य परम्परा का बयान…
आज आनंद बक्षी का जन्मदिन है । मेरे कवि मित्र नासिर अहमद सिकंदर ने जितना केदारनाथ अग्रवाल और अन्य कवियों...
आज आनंद बक्षी का जन्मदिन है । मेरे कवि मित्र नासिर अहमद सिकंदर ने जितना केदारनाथ अग्रवाल और अन्य कवियों...
बेला मांगा था बरसात में तुमसे... बरसते मेघ, बेला और मैं इंतज़ार की अग्नि में झुलस कर रीत गए.... आज...
नवगीत - अक्षय पाण्डेय महाराज सोये हैं भीतर बाहर है दंगा, औरत नंगी नहीं हुई यह देश हुआ नंगा। हम...
बीत रहा है दिवस आज भी ऋतु आषाढ़ के नहीं बादल; पथ से अटक-भटक गये हैं पर्य प्रदूषण से हुये...
अथाह जलराशि के बीच स्थित छोटे छोटे द्वीप जिस ओर नज़र जाती बहुमंजिली इमारतों का संसार नज़र आता एक से...
दरख़्त सा सख़्त पल्लव सा नर्म समंदर का कोलाहल वो प्रेम में सृजन दहक उठे तो दावाग्नि क्रोध में विध्वंस...
क्या तुम सुनते हो सूर्य के भीतर जल रही हायड्रोजन की आवाज़, जब तुम सूर्य को अर्घ्य दे रहे होते...
युद्ध का बिगुल या, शांति का दान। अंतर नहीं समझते, हम निरा मूर्ख इंसान। युद्ध की विभीषिका, बना रही श्मशान।...