आंख से कोई पर्दा उठा…
आंख से कोई पर्दा उठा ही नहीं जो तमाशा था होना हुआ ही नहीं इश्क़ तो बस वो पहले पहल...
आंख से कोई पर्दा उठा ही नहीं जो तमाशा था होना हुआ ही नहीं इश्क़ तो बस वो पहले पहल...
क्या आप पहचान सकते हैं कि भवानी प्रसाद मिश्र की कविता के ये चार कौए कौन हैं...कविता पुरानी है, लेकिन...
अदाएँ तुम बना लेना इशारे मैं बनाऊँगा तुम्हारे फूल-जज़्बों को शरारे मैं बनाऊँगा तुम्हारा साथ शामिल है तो फिर तुम...
ट्राम हमारे लिए उतने ही ज़रूरी थे जितना ज़रूरी था हमारे लिए राशन, ट्राम के बिना जीवन की कल्पना की...
(आजादी के तुरंत बाद की रचना) कवित्त (1) श्रम का सूरज उगा, बीती विकराल रात, भागा घोर तम, भोर हो...
कविता बंग्ला मूल के कवि सुनील गंगोपाध्याय की है जिसे हिन्दी में हम तक पहुंचाने का जिम्मा जिस ईमानदारी से...
जब आधी दुनिया स्त्रियो की तो आधी मुसीबत भी होन्गी ही!, उनके लिए तिलमिलाहट क्यूँ! किशोर होते पुरूष का भी...
मोर संग चलव रे, वा रे मोर पँड़की मैना, धनी बिना जग लागे सुन्ना, चौरा मा गोंदा रसिया, बखरी के...
मुझे तुम्हारे होंठ पसंद हैं जब वे शराब से भीगे होते हैं और जंगली चाहत से लाल होते हैं। मुझे...