उम्मीद के साथ कविताएँ पढ़ता हूँ
दुःख दर्द मान अपमान चोट घाव चीख आहें कविता इसी दुनिया में बनती बिगड़ती है देखता हूँ कितनी बन सकी...
दुःख दर्द मान अपमान चोट घाव चीख आहें कविता इसी दुनिया में बनती बिगड़ती है देखता हूँ कितनी बन सकी...
कल बापू को देखा ! सपने इतने ख़ूबसूरत भी होते हैं ! -सरला माहेश्वरी सपने में ही सही कल बापू...
मूल लेखक : अन्तोन चेखव अनुवाद : सुशांत सुप्रिय " मैं अपना दुखड़ा किसे सुनाऊँ ? " शाम के धुँधलके...
पता नहीं क्यों मेरे हृदय को हमेशा कचोटती रहती है 'बारह अंक' खाली दिमाग को चाटती रहती है दीमक की...
मिलन प्रिये जब तुमसे होगा, दिल की हम तुम बात करेंगे। नयनों से हम नयन मिलाकर, तुझसे इश्क इजहार करेंगे।।...
शायर : सतपाल “ख़याल” ग़ज़ल : 1 जब से बाज़ार हो गई दुनिया तब से बीमार हो गई दुनिया चंद...
बस से उतरकर जेब में हाथ डाला तो मैं चौंक पड़ा। जेब कट चुकी थी। जेब में था भी क्या?...
सुशांत सुप्रिय " पापा , भगवानजी तो इन्सानों को बड़ी मेहनत से बनाते होंगे । जब एक इंसान दूसरे इंसान...
मैं किसी और के जैसा,क्यों बनूँ? जैसा हूँ वैसा ही रहूँगा । दूसरों की नकल क्यों करूँ? मैं अपनी भावनाएँ...
जंगल को बचाने के लिए, पहाड़ पर कविता जाएगी, कुल्हाड़ी की धार के लिए, कमरे में दुआ मांगी जाएगी, पहाड़...