सुप्रिया शर्मा की कविताएँ
"देश की बेटी" मुझमें जुनून है, हिम्मत है,हौसला है। ऐसी कोई डोर नहीं, रोके जो पतवार को। मैं बढ़ चली,...
"देश की बेटी" मुझमें जुनून है, हिम्मत है,हौसला है। ऐसी कोई डोर नहीं, रोके जो पतवार को। मैं बढ़ चली,...
आँखों की नमीं बहुत कुछ बयाँ करती है आँखों की नमीं ये तो पढ़ने वाले ही समझते है इसकी गहराई...
-सरला माहेश्वरी बाबा मैंने सपना देखा ! घर में बैठे पास हमारे खिलखिला रहे हो तुम ! सत्य को लकवा...
गज़ल 1 छोड़ आए वो हसीं घर याद आता है कि जैसे क़ैद में पंछी को अंबर याद आता है...
कुछ पल के लिए और जी लेता मैं बैठ कर बातें करते गुज़रे हुए वक़्त का स्वप्ने भी देखते साथ...
पत्तों ने पूछा धरा से । दादी, तुमने पिता वृक्ष को जन्म दिया । पिता वृक्ष ने हमें जन्म दिया...
औरतों के दुख बड़े अशुभ होते हैं, और उनका रोना और भी बड़ा अपशकुन। दादी शाम को घर के आँगन...
राजेन्द्रो उपाध्यायय मेरे वे सब दोस्त कहां है अब जिनके भरोसे काटी थी कभी शिमला की बर्फीली सर्दियां जिनके साथ...
समागम के मूलतत्व जीवन का ब्रहांड बनता बिगड़ता है तेरे मेरे गुरुत्वाकर्षण से जैसे गुजरता है जीवन अनेक चक्रों से...