April 19, 2025

कविता

भूल चुके हैं अपने पुरखों की याद

समय के सबसे भ्रष्ट और कलंकित चेहरे कर रहे हैं सभ्यता का मार्गदर्शन उन्हीं के हाथों में हैं वे रोशनियाँ...

राजेन्द्र राजन के दो गीत

2) केवल दो गीत लिखे मैंने। इक गीत तुम्हारे मिलने का इक गीत तुम्हारे खोने का। सड़कों-सड़कों, शहरों-शहरों नदियों-नदियों, लहरों-लहरों...