डॉ प्रेमकुमार पांडेय की तीन कविताएं
मुद्दे श्मशान की धूंधूं के बीच अखबार पटे रहे बलात्कार हत्या और गुरबत की ताजा- तरीन खबरों से राजा और...
मुद्दे श्मशान की धूंधूं के बीच अखबार पटे रहे बलात्कार हत्या और गुरबत की ताजा- तरीन खबरों से राजा और...
आज का चिंतन धर्म और राजनीति धर्म का अर्थ होता है 'धारण करने योग्य".. धर्म मानव जीवन को जीने के...
बहन! क्या होती है बहन इक भाई के सिर का ताज होती है या शीतल मन में बहती प्रेममय रसधार...
हाँ मैं सच में भूल जाती हूँ ==================== वे अक्सर बात-बात पर खफा हो जाते हैं मुझसे कहते हैं... भूल...
नई सुबह, नया प्रभात, 🙏🍀🍀 * वक्त का समय * अभी वक्त ने समय मांगा है , थोड़ा ठहरो फिर...
क्या तुम दे सकते हो मेरी कलम को अपनी सानिध्य की घनी छांव तपते हुए रेतीले पथ पर क्षण भर...
श्रीकांत वर्मा कोई छींकता तक नहीं इस डर से कि मगध की शांति भंग न हो जाए, मगध को बनाए...
कंधे पर बंदूक उठती स्त्री,एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलती चलती है,अब वो खड़ी होती हैं सीमाओ पर...