कुछ छोटी कविताएँ (क्षणिकाएँ)
(1 ) पहचान ---------0 ---- तुम पहचान में बन गए हो एक अजनबी तुम्हारी सभी पहचानें शहर के चौराहों पर...
(1 ) पहचान ---------0 ---- तुम पहचान में बन गए हो एक अजनबी तुम्हारी सभी पहचानें शहर के चौराहों पर...
शब्द और अर्थ ऐसा होता है अक्सर मेरे साथ कभी शब्द खो जाते हैं तो कभी अर्थ ही गुम जाते...
" पृथ्वी..." 1. हमारी पृथ्वी जीवन है हमारा मत छेड़ना 2. धरती पर संपूर्ण सृष्टि पर दृश्यम दृष्टि 3. अनजान...
ग़ज़ल- 01 हर ज़िन्दगी की होती इक जैसी ही कहानी। होता पुराना किस्सा , होती नई कहानी। हर दिल है...
ग्रीष्म में शीतल एहसास गुलमोहर को बनाता ख़ास धूप की झुलसाती तपिश में घर से बाहर निकलने की बंदिश में...
1 ख़ूब मुनादी करवा दी है, जश्न मनाओ बस्ती में कल फिर शादी है, जश्न मनाओ सबसे नीचे दबी हुई...
हरियाली देती सबको संदेश, पेड़-पौधे लगाओ, स्वर्ग बने देश ।। उद्योगों की आंधी में, विनाश रूपी विकास में, मत क्षति...
बाबू जी की शिक्षा... जब तक मेरे बाबू जी जीवित रहे मुझे अपने पिता पर सच में बहुत गुमान था...
(1) घास मैं वहां खड़ा हूँ- जहां रास्ता खत्म होता है और सड़क शुरू. हम सड़कों को- रास्ता नहीं कहते...
दुविधा विधा है दुविधा की, हम ख़फा है दुविधा से। मन न हो परेशान दुविधा से। ये तो विधा है...