दिलशाद सैफी की एक कविता
हाँ मैं सच में भूल जाती हूँ ==================== वे अक्सर बात-बात पर खफा हो जाते हैं मुझसे कहते हैं... भूल...
हाँ मैं सच में भूल जाती हूँ ==================== वे अक्सर बात-बात पर खफा हो जाते हैं मुझसे कहते हैं... भूल...
नई सुबह, नया प्रभात, 🙏🍀🍀 * वक्त का समय * अभी वक्त ने समय मांगा है , थोड़ा ठहरो फिर...
क्या तुम दे सकते हो मेरी कलम को अपनी सानिध्य की घनी छांव तपते हुए रेतीले पथ पर क्षण भर...
श्रीकांत वर्मा कोई छींकता तक नहीं इस डर से कि मगध की शांति भंग न हो जाए, मगध को बनाए...
अपनी ही जान की अमाँ से गुरेज़ शोख़ कलियों को बाग़बाँ से गुरेज़ ख़ूँ की नदियाँ बहा दीं पाने को...
अध:पतन करना पड़े तो नदी की तरह करना लोग नजीर बना देंगे कहेंगे 'प्रेम में थी नदी...' किसी की तड़प...
कंधे पर बंदूक उठती स्त्री,एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलती चलती है,अब वो खड़ी होती हैं सीमाओ पर...
- परिचय दास ( प्रिय पत्नी वंदना श्रीवास्तव के लिए , जिन्होंने विरल , साहसपूर्ण एवं अनथक प्रयत्न किए मेरे...
मृत्यु के पास आने के सौ दरवाज़े थे हमारे पास उससे बच सकने के लिए एक भी नहीं इस बार...
भोर की देह कुछ सांवली हो गई रात पर रात का रंग चढ़ता नहीं तुम गए, बुझ गए दीप आकाश...