April 11, 2025

कविता

यामिनी गुप्ता की दो कविताएं

पिघलती भट्टियां~~~~ कोरोना कर्फ्यू ‼️और _सड़कों पर पसरा सन्नाटाबेलगाम होता कोरोना संक्रमण ,रातों में भी सुलगते मोक्षधामएंबुलेंस के सायरन से...

सच्ची सेवा का वक्त है महात्मनों !

हे सभी धर्मों के वीतरागियों ,महानुभावों !परहित और मनुष्यता को हीधर्म का मूल मानने वालों !उपदेश देकरसेवा का पुण्य फल...

एक कोशिश ताकां

जीवन मेरातुझको समर्पणआस लगाईराह तकती आखेंकब आये साजन!!नयनों नीरक्यूं ना समझे पीरसांझ सवेरेतडपूं निसदिनस्वप्न हुये अधीर!!मुर्शीद मेराबसता रग रगसांसें उससेसाया...

पुष्पिता अवस्थी की दो कविताएं

नदी/पुष्पिता नदी के पासअपना दर्पण हैजिसमें नदी देखती है ख़ुद कोआकाश के साथ। नदी के पासअपनी भाषा हैप्रवाह में ही...