November 23, 2024

कविता

डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ का जनवादी तेवर

जनकवि की संवेदना व्यक्तिगत नहीं होती। उसकी रचनाओं में सार्वजनिक पीड़ा , मज़दूरों की जुझारू चेतना, व्यवस्था एवं प्रभुत्वसंपन्न वर्ग...