शबरी के बेर…
शबरी के बेर बोले, तुम देर ना लगाना । हे राम... जल्दी आना ! हे राम... जल्दी आना !! पलकों...
शबरी के बेर बोले, तुम देर ना लगाना । हे राम... जल्दी आना ! हे राम... जल्दी आना !! पलकों...
ऋतु सिंह राजस्थान शिक्षा: एमफिल, बीएड, एमएससी भौतिकी ♦️बचपन से लिखने के शौक के चलते दसवीं कक्षा में राष्ट्रीय सहारा...
लंबे समय के बाद....आज ये ... आप सबके लिये....😊🙏 लेश भर भी कम नहीं सारी की सारी हूँ तुम किसी...
आकर मेरी बाहों में जज़्बात मचलने दो उल्फ़त के खिलें है गुल एहसास महकने दो।-1 हर-सम्त फ़ज़ाॅं महकी इक नूर...
मैंने पीड़ा को रोपा और बहुत ध्यान से देखा उसे बढ़ते हुए जब देखा , तो लगा मेरे सबसे करीब...
(सुख दुख की कविताएँ ) दुख का सीधा मुकाबला सुख से था सुख के पक्ष में सत्ता थी मक्कारी थी...
है शरद ऋतु का आगमन , फूलों की छटा है मनभावन।। नर्म धूप तन-मन को भाये, जैसे हो कोई अपनापन।।...
शरीर मंदिर नहीं है कि धो धोकर इसे रखूँ पवित्र अपरस में रखूँ कोई छू न सके मुझे शरीर किसी...
अधूरेपन के बीच से चला जाऊँगा अपूर्ण कविता की तरह रह जाना चाहता हूँ उसकी संभावना में मुरझाने से पहले...
छोड़ बाबुल तुम्हें दूर कैसे रहें। दूर -रहने का गम हम कैसे सहें।। खूब बचपन में उछली व कूदी जहाँ।...