Month: May 2021
लघुकथा : कोरोना
पारस कुंज कोरोना-काल चल रहा था | आठ-नौ माह बाद भी इसके लिए किसी भैक्सिन का ईजाद नहीं हो पाया...
अपर्णा की दो गज़लें
जीस्त ठहराव है ... जीस्त ठहराव है रवानी भीकुछ हकीक़त है कुछ कहानी भी //१// हाल दिल का अजीब सा...
मलयालम सिनेमा पर विशेष
अतीत की घटनाओं का जीवंत दस्तावेज - अडूर की फिल्में वर्तमान स्थिति-संदर्भ में सिनेमा एक स्वतंत्र और नवीन कला के...
बच के रहना
बच के रहना… कोई गाँव हो या शहर बच के रहनाहवा में घुला है ज़हर बच के रहना दिखाई न...
कवि लेखक रवि तिवारी के दो सामयिक चिंतन
विश्वास विश्वास वह शब्द है, वह अहसास है, वह शक्ति है, वह प्रेरणा है जो इंसान को हर संकट से,...
आज के कवि- अंतरा श्रीवास्तव की दो कविताएं
अधूरापन अधूरापनइंधन है जीवन कापूर्णता की परीपूर्णता तोरिक्त कर जाती हैखुलने वाले बहुआयामीअंतर्मन के अंतरिक्षों कोतभी पृथ्वी जी रही हैआधे...
कवि लेखक रवि तिवारी के दो सामयिक चिंतन
सबक कोरोना ने भारत सहित पूरी दुनिया को यह सिखला दिया है कि सभी देशों में मेडिकल व्यवस्था को बहुत...
माधुरी कर की कविता
मां मेरी आवाज सुननन्हे हाथ से तोड़ रहे पत्थरहथौड़े की आवाजमां, क्या सुन नहीं पातीतेरे ऊंचे गलियारे के नीचे देखचिलचिलाती...
रंजना डीन की दो कविताएं
दौर-ए-मुश्किल है हर इंसान परेशां है मगरये बुरा वक्त भीजाने के लिए आया है छुपा बैठा है घरों मेंहर एक...