ग़ज़ल
बेटे ने लाख चाहा था, पाई न दे सकापापा के हाथ पहली कमाई न दे सका परबत की थी उम्मीद,...
बेटे ने लाख चाहा था, पाई न दे सकापापा के हाथ पहली कमाई न दे सका परबत की थी उम्मीद,...
कविता में भी घुसे हुए हैंशब्दों के व्यापारीचला रहे हैं खाल ओढ़करअपनी दुकानदारी संपादक हैं ,आयोजक हैंइनमें हैं कुछ नेताढूँढा...
लेखक- इन्द्रा राठौर नई सदी की हिंदी कविता में 'स्त्री कविता' अपने पीले पड़ चुके रूदाली चेहरे के बनिस्बत और...
अभी फेसबुक खोली तो तेजेन्द्र शर्मा जी की पोस्ट सामने आई और समाचार था -आधारशिला पत्रिका के संपादक दिवाकर भट्ट...
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव ने एक पत्र लिखकर कोरोना काल के अपने अनुभवों को साझा किया है।...
शुभ मुहरत अक्षय तिथि हावय, कहिथें वेद पुरान।एही दिन तो सतयुग त्रेता, रचे रहिस भगवान।। चलौ मनाबो जुरमिल अक्ती, पावन...
पीयूष कुमार कल ही इस तमिल फ़िल्म के बारे में चर्चा सुनी और पाया कि अमेजन प्राइम में यह देखी...
शुभ मुहरत अक्षय तिथि हावय, कहिथें वेद पुरान।एही दिन तो सतयुग त्रेता, रचे रहिस भगवान।। चलौ मनाबो जुरमिल अक्ती, पावन...
उतरना पड़ता है गहराई मेंज्ञान को पाने के लिएविज्ञान को समझने के लिए प्रेम को पाने के लिएकला को सीखने...
कुछ ही तो दिन हुएजब माँ चली गई थीतब पिता के पैरों के छालेइतने पारदर्शी पहली बार दिखेपहले तो माँ...