भाषा गिरती है…
मनुष्य गिर जाता है भाषा अकेली नहीं गिरती उसके साथ गिर जाती है मनुष्यता की समूची विरासत कहते हैं कवि...
रस्किन बॉन्ड
बासठ वर्ष की उम्र में यह आखिरी बार था जब दादी पेड़ पर चढ़ तो गईं, लेकिन उतर नहीं पाईं...
चम्बल की घाटी में : मुक्तिबोध
मुक्तिबोध की कविताएं गहन रूपकात्मकता में आधुनिक मनुष्य के अंतर्द्वंद्व,उसकी पीड़ा, संघर्ष को प्रकट करती हैं।उनके यहां वैचारिक अंतर्द्वंद्व अत्यधिक...
कुछ अरुण-दोहे…
प्रकृति-सौंदर्य के कुशल चितेरे, छायावाद के प्रमुख स्तंभ कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती पर कुछ अरुण-दोहे : पतझर जैसा हो...
पुरस्कारों की सूचना
हिंदी साहित्य एवम व्यंग्य संस्थान रायपुर, छत्तीसगढ़ “हिंदी व्यंग्य के लिए राष्ट्रीय स्तर”के निम्न पुरस्कार हेतु अनुशंसाएँ आमंत्रित करता है...
सुशोभित जी का लेख पढ़ा हो तो…
मैं फ़ेसबुक पर सुशोभित जी के लेख पढ़ता रहता हूँ बहुत ही उम्दा लिखते है। इनके लेखन ने हर बार...
आलोचना का शुक्ल पक्ष
ज्ञानेन्द्र पति ने बनारस में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी की आवक्ष प्रतिमा को देख कर लिखा था कि शुक्ल जी...
चम्बल की घाटी में : मुक्तिबोध
मुक्तिबोध की कविताएं गहन रूपकात्मकता में आधुनिक मनुष्य के अंतर्द्वंद्व,उसकी पीड़ा, संघर्ष को प्रकट करती हैं।उनके यहां वैचारिक अंतर्द्वंद्व अत्यधिक...
पद की गरिमा
राजा ने एक भाषण दिया। कुछ ज्यादा ही जोश में दिया। भाषण पर बवाल मच गया। वैसे उसके हर भाषण...