कहानी – मनहूस
आज वह बाहर निकल कर खुशी से फूला ना समा रहा था और हो भी क्यों ना पिछले नौ महीनों...
आज वह बाहर निकल कर खुशी से फूला ना समा रहा था और हो भी क्यों ना पिछले नौ महीनों...
पाँच ही दिन हुए थे रेवती को अपनी ससुराल पचेड़ा आये। देह से हल्दी का पीलापन भी नहीं गया था।...
विधा- आलेख व्यक्ति के सार्वजनिक जीवन में प्रवेश का एक संस्कार है 'विवाह'। पवित्र माने जाने वाले इस संस्कार में...
श्यामल बिहारी महतो " मैं तुम्हें बेटा कहूं या साढू ...?" बाप रामदीन भरी पंचायत में इकलौते बेटे राधेश्याम सेबार...
एक पूजारी मंदिर जा रहा था। देह पर भगवा वस्त्र था। दोनों हाथों में पूजन-सामग्रियाँ थी। गले में तुलसी की...
संदीप पांडे बड़ी लगन, समर्पण और कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप लक्ष्मण सिंह ने पुलिस सेवा में अपना मनचाहा एस आई...
आज हेम और हरि दोनों के बीच जबरदस्त विचार विमर्श चल रहा था। मंहगाई, सरकारी सेवा करते चैनल से होकर...
आज से करीब बीस वर्ष पहले लिखी एक कहानी वे सिर्फ़ मेरे एक अकेले के मामा नहीं थे, बल्कि हमारे...
- जय प्रकाश पाण्डेय दस दस घरों के पांच टोले मिलाकर बना है कसवां गांव। गांव के एक टोले के...