April 20, 2025

कविता

मैं शब्दों को नहीं पिरोती…

मैं शब्दों को नहीं पिरोती हां मैं शब्दों को नहीं पिरोती शब्द स्वयं गुंथ जाते हैं भावों के गुलगुल धागों...

हिंदी कविता- एक दीप जलाना चाहूं…

मन की बगिया सजाना चाहूं । मैं एक दीप.....जलाना चाहूं ।। एक दीप.... जीवन के गगन में, एक दीप अंतर्मन...

मेरी नवीनतम कविता : यौवन मेरा लापता हो गया

कहीं यौवन तो मेरा लापता हो गया कोई चुरा ले गया कि खुद खो गया सब कहते हैं बड़ा ही...

स्वर्गीय श्री मोतीलाल विजयवर्गीय : जन्मदिवस पर विशेष

देश के सुप्रसिद्ध भाषाशास्त्री,व्याकरणाचार्य पिताश्री स्वर्गीय श्री मोतीलाल विजयवर्गीय जी का जन्मदिवस आज 9 सितंबर को इस प्रण के साथ...

” छूकर तुमको आई ये पुरवाई”

रूह में बसी मुहब्बत, महक फ़िज़ा में, आती तुमसे होकर, छूकर तुमको ये पुरवाई। महसूस कराती, इश्क़ की रंगत, छितरे...