पर्यावरण केंद्रित दोहे :-
कूड़ाघर नदियाँ बनीं, सूखे सब तालाब। खोज रही है सभ्यता, अब चंदा पर आब।। हम नदियों के मार्ग को, नित...
कूड़ाघर नदियाँ बनीं, सूखे सब तालाब। खोज रही है सभ्यता, अब चंदा पर आब।। हम नदियों के मार्ग को, नित...
सबने फूल -फूल चुन लिए,मैं कांटे उठा लाया। सब फूल झड़ गए,कांटों से कांटे निकालता रहा।। उनकी मुट्ठी में चांद...
14 सित. राजभाषा दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। मिसरी सी मीठी हूक लिए पानी...
-छत्तीसगढ़ लोक लोक शैली में गांधी के कार्य को याद करते हुए द्वारिकाप्रसाद 'विप्र' लिखते हैं- ●'देवता बनके आये गांधी...
भाव की बहती धराएँ, दे रहीं हमको किनारा मैं पथिक हूँ गीत का अरु, गीत ही अंतिम सहारा।। सुरसरि में...
कोई फकीर , बन राहगीर, नर्मदा तीर, हिम सा शरीर, वह परम वीर, भू चला चीर, गर्जन अधीर, कहता समीर...