April 19, 2025

कविता

डॉ. किरण मिश्रा की दो कविताएं

समागम के मूलतत्व जीवन का ब्रहांड बनता बिगड़ता है तेरे मेरे गुरुत्वाकर्षण से जैसे गुजरता है जीवन अनेक चक्रों से...