डिम्पल राठौड़ की कविताएं
नीम बेहोशी में खोई रहती हूँ सोई रहती हूँ देखती हूँ रोज़ एक स्वप्न ये दुनिया तबाह हो रही है...
नीम बेहोशी में खोई रहती हूँ सोई रहती हूँ देखती हूँ रोज़ एक स्वप्न ये दुनिया तबाह हो रही है...
दृष्टा तुम हो, सृष्टा तुम हो, परमपिता आशीष सम, इस जीवन के, विश्वास अटल , भ्रमित मन के, निर्मल उजास...
डॉ जे के डागर सुहाग रात की रात के बाद सुबह , कविता, जी मै चाय बना लाऊं, राजीव, नहीं...
1- साफ करो हाथों को मुझसे कोरोना को दूर भगाओ साबुन मुझको समझ न लेना प्यारे बच्चों नाम बताओ ।...
औरत ॰॰॰ औरतों के देह में होती है एक अलग गंध जिससे महकता है पुरुष औरत की देह में होता...
जाति है कि जाती ही नहीं नहीं छोड़ती पीछा कभी छोड़ कर भागना भी चाहे शन्नो जाति भी दौड़ते-दौड़ते पहुँच...
हो रहबर क़ौम का सच्चा तो इज़्ज़त मैं भी करती हूँ मगर झूठी सियासत से तो नफ़रत मैं भी करती...
अंतहीन पीड़ा से खुद से मोह मिट गया है, अब दूर निकल जाऊँ मैं बहुत, निर्जनता में, कि, हृदय के...
शब्दों के जादूगर हो तुम जब कुछ नहीं भी कहते हो तुम मुझे सब कुछ सुनाई पड़ता है और जब...
एक अच्छी लड़की सवाल नहीं करती एक अच्छी लड़की सवालों के जवाब सही-सही देती है एक अच्छी लड़की ऐसा कुछ...