राजेश जैन ‘राही’ की ग़ज़लें
(1) रूप तेरा बहुत सलोना है, चाँद को शर्मसार होना है। हाथ नाजुक तेरे सुकोमल से, और मासूम दिल का...
(1) रूप तेरा बहुत सलोना है, चाँद को शर्मसार होना है। हाथ नाजुक तेरे सुकोमल से, और मासूम दिल का...
पत्रकारिता विश्वविद्यालय परिसर में बनेगा भव्य संत कबीर द्वार, मुख्यमंत्री ने किया शिलान्यास ‘‘संत कबीर का छत्तीसगढ़‘‘ पुस्तक का किया...
हाथ में हाथ हो और तुम साथ हो ख़ुशनुमा हो सुबह ख़ुशनुमा रात हो जुगनुओं की चमक से चमकती हुई...
क्रोधित प्रकृति का भयावह प्रलय जीवन संघर्ष प्रतिशोध की अग्नि मनुजता का कलंक बन भम्मी भूत कर राख बनाने आतुर...
मैं 19 बरस का था, जब मेहरुनिमा से मेरी शादी हुई और वह 17 बरस की थीं। जैसे-जैसे मैं बड़ा...
विस्तृत है पिता पर्वत की तरह अटल हैं पिता जिसकी सीधी ढलान से पाए हैं हम ऊपर चढ़ने का हौसला...
हल भी चलाएं और बीज भी बोए । सबको खिलाए और हम भूखे सोए ।। कितने लाचार मजबूर है हम...
एक शाम आप दफ़्तर से घर आते हैं -- थके-माँदे । दरवाज़े पर लगा ताला आपको मुँह चिढ़ा रहा है...
शेफाली से बिछड़े अतुल को दस साल से ज्यादा हो गए थे पर अतुल उसे एक पल को नहीं भूल...